मेरे ख्याल से मंगलवार की सबसे दुखद खबर थी यह। पूरी दुनिया इस वक्त महामारी से गुजर रही है। वैसे ही सब लोग तनाव में हैं, लेकिन अब मन के तौर पर गहरा आघात मुझे पहुंचा है। पिछले साल डेढ़ सालों से हम लोगों की बातें- मुलाकातें कम हो पा रही थी। वह इसलिए कि इरफान कभी कभार ही खुलकर किसी से बात करते थे, लेकिन मैंने उन्हें मैसेज भेजा था और उसका जवाब भी आया था।
हमारी दोस्ती बहुत अच्छी थी जैसे दोस्तों की दोस्ती होती है और यह दोस्ती का जो आधार था यह नहीं था कि हम एक ही शहर से एक बचपन के साथ हैं। हम लोगों ने एक लंबा वक्त साथ गुजारा। हम दोनों एक दूसरे के काम की इज्जत करते रहें। मैं हमेशा उनके काम की इज्जत करता रहूंगा जो भी मेरे मोमेंट्स उनके साथ गुजरे, उनको मैं हमेशा इज्जत करता रहूंगा और जैसे जो दो कलिग्स के बीच दोस्ती हो जाती है वैसे ही दोस्ती थी। यह ऐसी दोस्ती थी, जो रिश्ते से शुरू नहीं हुई थी। ये काम से शुरू हुई और बढ़ती गई।
इरफान अपने यकीन पर डटे रहे
इरफान बहुत ही करीबी दोस्त रहे हैं। उनको मैंने देखा है उस वक्त से जब मैं नया-नया मुंबई शिफ्ट हुआ था और गोरेगांव में एक छोटे से घर में वह पत्नी सूतापा के साथ रहते थे हम सब ने साथ काम शुरू किया था। हालांकि वह पहले आए थे। हमेशा बहुत ही मन से मिलते थे। बहुत अच्छे दोस्त हो गए थे। बहुत वक्त हम लोगों ने साथ गुजारा। बहुत चीजें शेयर की साथ में। फिर इरफान की सबसे बड़ी बात थी कि वह कभी झुके नहीं। मतलब बॉलीवुड में जहां हर आदमी डर जाता है। एडजस्ट करता है। इरफान अपने यकीन पर डटे रहे और उसका रिजल्ट मिला। फाइनली, ना सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि पूरी दुनिया में नाम कमाया। ऐसे में मैं उनकी पत्नी के में सोच रहा हूं बहुत अच्छी दोस्त हैं, हमारी सूतापा। उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
उनका एक एहसान कभी नहीं भूलूंगा
इरफान मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे। ढेर सारे किस्से उनके साथ के हैं,लेकिन मैं इस वक्त उन किस्सों को कुरेदना नहीं चाहता हूं। मैं बस यही शेयर कर सकता हूं। मेरे पिता की 1995 में मृत्यु हुई थी। उस जमाने में मोबाइल तो। क्या फोन भी सबके पास नहीं थे। इरफान के घर पर फोन था और मैं कहीं बैठा हुआ था। हमारे पड़ोसियों ने इरफान का नंबर कहीं से ढूंढ कर निकाला और फोन करके उन्हें मेरे पिता की मौत के बारे में बताया। उन्होंने आकर मुझे पिता के गुजरने की खबर दी तो मैं बिल्कुल सदमे में आ गया था। इरफान ने मेरा कंधा पकड़कर कहा- इस वक्त हिम्मत रख और देख, रोना नहीं। वे मुझे एयरपोर्ट लेकर गए। मेरे पास पैसे भी नहीं थे। उन्होंने एटीएम से पैसे निकाले ले जाकर रात को ढाई बजे उन्होंने मुझे फ्लाइट में बैठाया। ये बहुत ही पर्सनल किस्सा है। वह मैं कभी भूलूंगा नहीं। बहुत अच्छे इंसान थे।
इरफान की इंस्पायरिंग जर्नी से सीखना चाहिए
इरफान ने कलाकारों और दुनिया का इंडिया की तरफ देखने का नजरिया बदला। उनकी फिल्में अब देखें उनसे पता चलेगा कि वह किस तरह के कहानी और कला में यकीन करते थे। और वह इससे डिगे नहीं। यह बात आप उनकी फिल्मों से देखकर आप अनुभव कर सकते हैं। क्योंकि वह आदमी जो एक छोटे शहर से दिल्ली आया। एनएसडी में पढ़ा। जब मुंबई आया तो बिना स्टारडम के स्ट्रगल से गुजरा। सालों तक छोटे बड़े हर तरह के रोल किए। रोल छोटे से बड़े होते गए और इरफान का कद भी बड़ा होता गया। लाइफ ऑफ पाई जैसी फिल्म पाने से पहले उन्होंने अपनी मेहनत से जगह बनाई। लोगों ने देखा। यह जर्नी है उस मेहनती आदमी की है और बहुत इंस्पायरिंग जर्नी है। लोगों को इससे सीखना चाहिए।
अब उनकी यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी
पांच साल पहले मेरा जन्मदिन की यादगार रात और इरफान का साथ मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। मैं ज्यादा बर्थडे मनाता नहीं था। लेकिन उस बार मैंने तय किया कि सारे दोस्तों को बुलाऊंगा। उसमें तिग्मांशु भी आए, इरफान आए। कुछ 50 दोस्त मेरे घर आए थे। मुंबई में फ्लैट बहुत बड़े नहीं होते हैं तो 50 लोगों की भीड़ भाड़ में कंधे से कंधा टकरा रहा था और सब लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे। जाहिर है कि इतनी भीड़ होगी तो चिल्ला-चिल्ला कर ही बात होगी और खूब गाने गाए हम लोगों ने। इरफान ने भी गाया। जितना खड़े होने की जगह थी उसमें बहुतों ने डांस भी किया। खाना साथ में खाया और इरफान उस दिन बहुत खुश थे। क्योंकि आपको सारे ही पुराने दोस्त मिले थे और वह बहुत शांत बैठे हुए थे 5 साल हो गए, लेकिन अब वो यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी।